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परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………….
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हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाली अशुद्धियाँ…………..

.
हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाली अशुद्धियाँ………..

हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाली अशुद्धियाँ………..

 

शुद्ध वर्तनी

 

भाषा विचारों की

अभिव्यक्ति का

सशक्त माध्यम है

और शब्द

भाषा की

सबसे छोटी

सार्थक इकाई है।

भाषा के माध्यम

से ही मानव

मौखिक एवं लिखित

रूपों में अपने

विचारों को

अभिव्यक्त करता है।

इस वैचारिक

अभिव्यक्ति के

लिए शब्दों का

शुद्ध प्रयोग आवश्यक है।

अन्यथा अर्थ का

अनर्थ होने में भी

देर नहीं लगती।

कई बार क्षेत्रीयता,

उच्चारण भेद

और व्याकरणिक

ज्ञान के अभाव

के कारण

वर्तनी संबंधी

अशुद्धियाँ हो जाती हैं।

वर्तनी संबंधी

अशुद्धियों के

कई कारण हो सकते हैं

जिसमें से से कुछ

प्रमुख निम्नलिखित है –

मात्रा प्रयोग –

 

हिन्दी के कई शब्द

ऐसे हैं जिनको लिखते

समय मात्रा

के प्रयोग विषयक

संशय उत्पन्न हो जाता है।

ऐसे शब्दों का ठीक से

उच्चारण करने पर

उचित मात्रा प्रयोग किया

जाना संभव होता है।

 

जैसे

अशुद्ध                                                                   शुद्ध

अतिथी…………………………………………………..अतिथि

इंदोर……………………………………………………..इंदौर

उर्जा……………………………………………………… ऊर्जा

ऊषा……………………………………………………..उषा

क्योंकी .…………………………………………………क्योंकि

गितांजली ………………………………………………गीताजंलि

तियालीस………………………………………………तैंतालिस

त्रिपुरारी………………………………………………..त्रिपुरारि

दवाईयाँ ……………………………………………….दवाइयाँ

दीयासलाइ……………………………………………दियासलाई

निरिक्षण………………………………………………निरीक्षण

प्रतीलीपि……………………………………………..प्रतिलिपि

आहुती………………………………………………..आहूति

ईकाई…………………………………………………इकाई

उहापोह………………………………………………ऊहापोह

एरावत………………………………………………..ऐरावत

प्रतिनीधी ………………………………………………प्रतिनिधि

पत्नि…………………………………………………….पत्नी

परिक्षित………………………………………………..परीक्षित

पुज्य…………………………………………………….पूज्य

पुरुस्कार……………………………………………….पुरस्कार

बिमार…………………………………………………..बीमार

मिट्टि…………………………………………………….मिट्टी

मुल्य…………………………………………………….मूल्य

मूमर्ष……………………………………………………मुमूर्ष

युयूत्सा…………………………………………………..युयुत्सा

रुपया……………………………………………………रूपया

श्रीमति…………………………………………………..श्रीमती

परिक्षा……………………………………………………परीक्षा

पूज्यनीय…………………………………………………पूजनीय

आगम

 

शब्दों के प्रयोग में

अज्ञानवश या भूलवश

जब अनावश्यक

वर्णों का प्रयोग

किया जाए तो

उसे आगम कहते हैं।

आगम स्वर

व व्यंजन दोनों

का हो सकता है।

अतिरिक्त रूप से

प्रयुक्त इन वर्णों को

हटाकर शब्दों

का शुद्ध प्रयोग किया

जा सकता है।

स्वर का आगम –

 

जैसे –

अशुद्ध                                                                  शुद्ध

अत्याधिक……………………………………………….अत्यधिक

अहोरात्रि…………………………………………………अहोरात्र

पहिला…………………………………………………….पहला

प्रदर्शिनी………………………………………………….प्रदर्शनी

द्वारिका……………………………………………………द्वारका

अहिल्या…………………………………………………..अहल्या

 

व्यंजन का आगम –

जैसे –

अशुद्ध                                                                      शुद्ध

अंतर्ध्यान……………………………………………………अंतर्धान

मानवीयकरण…………………………………………….मानवीकरण

सौजन्यता………………………………………………….सौजन्य

कृत्यकृत्य.…………………………………………………कृतकृत्य

षष्ठम्………………………………………………………षष्ठ

 

 लोप

 

शब्दों के प्रयोग में

जब किसी आवश्यक वर्ण

(स्वर या व्यंजन)

का प्रयोग होने से

रह जाए तो

वह लोप कहलाता है।

इस आधार पर भी

शब्दों के सही प्रयोग करने हेतु

आवश्यक स्वर या

व्यंजन जोङकर त्रुटि

रहित प्रयोग किया जा सकता है।

 

स्वर का लोप –

जैसे –

 

अगामी………………………………………………..आगामी

उज्यनी………………………………………………उज्जयिनी

जमाता……………………………………………..जामाता

मोक्षदायनी…………………………………………मोक्षदायिनी

स्वस्थ्य……………………………………………..स्वास्थ्य

आजीवका…………………………………………आजीविका

व्यंजन का लोप –

 

अनुछेद…………………………………………..अनुच्छेद

जोत्सना…………………………………………..ज्योत्स्ना

प्रतिछाया…………………………………………प्रतिच्छाया

मत्सेंद्र…………………………………………….मत्स्येंद्र

मिष्ठान…………………………………………….मिष्टान्न

व्यंग………………………………………………..व्यंग्य

स्वालंबन…………………………………………..स्वावलंबन

उपलक्ष……………………………………………..उपलक्ष्य

छत्रछाया……………………………………………छत्रच्छाया

धातव्य………………………………………………ध्यातव्य

प्रतिद्वंद……………………………………………..प्रतिद्वंद्व

महात्म………………………………………………………माहात्म्य

 

 वर्ण व्यतिक्रम (क्रम भंग)

शब्दों में प्रयुक्त वर्णों को

उनके क्रम से प्रयुक्त

न कर शब्द में उसके

नियत स्थान की अपेक्षा

किसी अन्य क्रम पर

प्रयुक्त् करना वर्ण

व्यतिक्रम कहलाता है।

जैसे –

अथिति……………………………………अतिथि

आवाहन………………………………….आह्वान

चिन्ह……………………………………..चिह्न

ब्रम्हा……………………………………..ब्रह्म

विव्हल…………………………………..विह्वल

अपरान्ह…………………………………अपराह्न

आल्हाद…………………………………आह्लाद

जिव्हा….………………………………..जिह्वा

मध्यान्ह…………………………………मध्याह्न

 

वर्ण परिवर्तन

 

कई बार वर्ण प्रयुक्त

करते समय

असावधानीवश

किसी वर्ण विशेष

के स्थान पर किसी

दूसरे वर्ण का प्रयोग

हो जाता है।

यह प्रयोग वर्तनी की

अशुद्धि को दर्शाता है।

अतः इस प्रकार के

प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए।

जैसे –

अधिशाषी…………………………….अधिशासी

आंसिक………………………………आंशिक

कनिष्ट………………………………..कनिष्ठ

छीद्रान्वेशी…………………………..छिद्रान्वेषी

निशंग…………………………………निषंग (तरकश)

श्राप……………………………………..शाप

सगठन.…………………………………संगठन

संतुष्ठ…………………………………….संतुष्ट

खंबा……………………………………..खंभा

रामायन………………………………..रामायण

विंधाचल……………………………….विंध्याचल

सीधा-साधा……………………………..सीधा-सादा

संघठन………………………………….संघटन

 

और भी कई प्रकार के होते है ………

शुद्ध वर्तनी

 

भाषा विचारों की

अभिव्यक्ति का

सशक्त माध्यम है

और शब्द

भाषा की

सबसे छोटी

सार्थक इकाई है।

भाषा के माध्यम

से ही मानव

मौखिक एवं लिखित

रूपों में अपने

विचारों को

अभिव्यक्त करता है।

इस वैचारिक

अभिव्यक्ति के

लिए शब्दों का

शुद्ध प्रयोग आवश्यक है।

अन्यथा अर्थ का

अनर्थ होने में भी

देर नहीं लगती।

कई बार क्षेत्रीयता,

उच्चारण भेद

और व्याकरणिक

ज्ञान के अभाव

के कारण

वर्तनी संबंधी

अशुद्धियाँ हो जाती हैं।

वर्तनी संबंधी

अशुद्धियों के

कई कारण हो सकते हैं

जिसमें से से कुछ

प्रमुख निम्नलिखित है –

मात्रा प्रयोग –

 

हिन्दी के कई शब्द

ऐसे हैं जिनको लिखते

समय मात्रा

के प्रयोग विषयक

संशय उत्पन्न हो जाता है।

ऐसे शब्दों का ठीक से

उच्चारण करने पर

उचित मात्रा प्रयोग किया

जाना संभव होता है।

 

जैसे –

अशुद्ध                                                                   शुद्ध

अतिथी…………………………………………………..अतिथि

इंदोर……………………………………………………..इंदौर

उर्जा……………………………………………………… ऊर्जा

ऊषा……………………………………………………..उषा

क्योंकी ………………………………………………….क्योंकि

गितांजली ………………………………………………गीताजंलि

तियालीस………………………………………………तैंतालिस

त्रिपुरारी………………………………………………..त्रिपुरारि

दवाईयाँ ……………………………………………….दवाइयाँ

दीयासलाइ……………………………………………दियासलाई

निरिक्षण………………………………………………निरीक्षण

प्रतीलीपि……………………………………………..प्रतिलिपि

आहुती………………………………………………..आहूति

ईकाई…………………………………………………इकाई

उहापोह………………………………………………ऊहापोह

एरावत………………………………………………..ऐरावत

प्रतिनीधी ………………………………………………प्रतिनिधि

पत्नि…………………………………………………….पत्नी

परिक्षित………………………………………………..परीक्षित

पुज्य…………………………………………………….पूज्य

पुरुस्कार……………………………………………….पुरस्कार

बिमार…………………………………………………..बीमार

मिट्टि…………………………………………………….मिट्टी

मुल्य…………………………………………………….मूल्य

मूमर्ष……………………………………………………मुमूर्ष

युयूत्सा…………………………………………………..युयुत्सा

रुपया……………………………………………………रूपया

श्रीमति…………………………………………………..श्रीमती

परिक्षा……………………………………………………परीक्षा

पूज्यनीय…………………………………………………पूजनीय

आगम

 

शब्दों के प्रयोग में

अज्ञानवश या भूलवश

जब अनावश्यक

वर्णों का प्रयोग

किया जाए तो

उसे आगम कहते हैं।

आगम स्वर

व व्यंजन दोनों

का हो सकता है।

अतिरिक्त रूप से

प्रयुक्त इन वर्णों को

हटाकर शब्दों

का शुद्ध प्रयोग किया

जा सकता है।

स्वर का आगम –

 

जैसे –

अशुद्ध                                                                  शुद्ध

अत्याधिक……………………………………………….अत्यधिक

अहोरात्रि…………………………………………………अहोरात्र

पहिला…………………………………………………….पहला

प्रदर्शिनी………………………………………………….प्रदर्शनी

द्वारिका……………………………………………………द्वारका

अहिल्या…………………………………………………..अहल्या

 

व्यंजन का आगम

जैसे –

अशुद्ध                                                                      शुद्ध

अंतर्ध्यान……………………………………………………अंतर्धान

मानवीयकरण…………………………………………….मानवीकरण

सौजन्यता………………………………………………….सौजन्य

कृत्यकृत्य………………………………………………….कृतकृत्य

षष्ठम्………………………………………………………षष्ठ

 

 लोप

 

शब्दों के प्रयोग में

जब किसी आवश्यक वर्ण

(स्वर या व्यंजन)

का प्रयोग होने से

रह जाए तो

वह लोप कहलाता है।

इस आधार पर भी

शब्दों के सही प्रयोग करने हेतु

आवश्यक स्वर या

व्यंजन जोङकर त्रुटि

रहित प्रयोग किया जा सकता है।

 

स्वर का लोप –

जैसे –

 

अगामी………………………………………………..आगामी

उज्यनी………………………………………………उज्जयिनी

जमाता……………………………………………..जामाता

मोक्षदायनी…………………………………………मोक्षदायिनी

स्वस्थ्य……………………………………………..स्वास्थ्य

आजीवका…………………………………………आजीविका

व्यंजन का लोप –

 

अनुछेद…………………………………………..अनुच्छेद

जोत्सना…………………………………………..ज्योत्स्ना

प्रतिछाया…………………………………………प्रतिच्छाया

मत्सेंद्र…………………………………………….मत्स्येंद्र

मिष्ठान…………………………………………….मिष्टान्न

व्यंग………………………………………………..व्यंग्य

स्वालंबन…………………………………………..स्वावलंबन

उपलक्ष……………………………………………..उपलक्ष्य

छत्रछाया……………………………………………छत्रच्छाया

धातव्य………………………………………………ध्यातव्य

प्रतिद्वंद……………………………………………..प्रतिद्वंद्व

महात्म………………………………………………………माहात्म्य

 

 वर्ण व्यतिक्रम (क्रम भंग)

शब्दों में प्रयुक्त वर्णों को

उनके क्रम से प्रयुक्त

न कर शब्द में उसके

नियत स्थान की अपेक्षा

किसी अन्य क्रम पर

प्रयुक्त् करना वर्ण

व्यतिक्रम कहलाता है।

जैसे –

अथिति……………………………………अतिथि

आवाहन………………………………….आह्वान

चिन्ह……………………………………..चिह्न

ब्रम्हा……………………………………..ब्रह्म

विव्हल…………………………………..विह्वल

अपरान्ह…………………………………अपराह्न

आल्हाद…………………………………आह्लाद

जिव्हा……………………………………जिह्वा

मध्यान्ह…………………………………मध्याह्न

 

वर्ण परिवर्तन

 

कई बार वर्ण प्रयुक्त

करते समय

असावधानीवश

किसी वर्ण विशेष

के स्थान पर किसी

दूसरे वर्ण का प्रयोग

हो जाता है।

यह प्रयोग वर्तनी की

अशुद्धि को दर्शाता है।

अतः इस प्रकार के

प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए।

जैसे –

अधिशाषी…………………………….अधिशासी

आंसिक………………………………आंशिक

कनिष्ट………………………………..कनिष्ठ

छीद्रान्वेशी…………………………..छिद्रान्वेषी

निशंग…………………………………निषंग (तरकश)

श्राप……………………………………..शाप

सगठन………………………………….संगठन

संतुष्ठ…………………………………….संतुष्ट

खंबा……………………………………..खंभा

रामायन………………………………..रामायण

विंधाचल……………………………….विंध्याचल

सीधा-साधा……………………………..सीधा-सादा

संघठन………………………………….संघटन

 

और भी कई प्रकार के होते है ………

 

 

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सर्वनाम किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण …………..

 

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सर्वनाम किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण………………

 

सर्वनाम की परिभाषा

संज्ञा के स्थान पर आने वाले

शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।

जैसे: तुम, हम, आप, उसका,

आदि I सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आता है।

सर्वनाम 2 शब्दों का योग करके बनता है………

सर्व+नाम, इसका यह अर्थ है

कि जो नाम शब्द के स्थान पर

उपयुक्त होता है

उसे सर्वनाम कहते हैं।

सर्वनाम के भेद……………..

सर्वनाम के भेद 6 प्रकार के होते हैं,

जैसे-

  • पुरुषवाचक सर्वनाम
  • निश्चयवाचक (सूचक) सर्वनाम
  • अनिश्चितकालीन सर्वनाम
  • सापेक्ष सर्वनाम
  • प्रश्नवाचक सर्वनाम
  • व्यक्तिगत सर्वनाम

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सर्वनाम पीडीऍफ़ हिंदी में 

 

लिंग किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………..

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लिंग किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण……………………….

 

लिंग………………

 

शब्द के जिस रूप से

उसकी जाति (नर, मादा)

का बोध होता है,

उसे लिंग (Gender in hindi) कहते हैं।

लिंग दो प्रकार के होते हैं –

1. पुल्लिंग

2. स्त्रीलिंग

शब्दों के जिस रूप न में

उनके ‘नरत्व’ (पुरुषत्व)

का बोध होता है,

उसे ‘पुल्लिंग’ तथा

शब्दों के जिस रूप से

उसके ‘स्त्रीत्व’ का

बोध होता है, उसे ‘कहते हैं।

जैसे –

पुल्लिंग शब्द – लङका, बैल, पेङ, नगर आदि।

स्त्रीलिंग शब्द – गाय, लङकी, लता, नदी आदि।

हिन्दी भाषा में सृष्टि के

समस्त पदार्थों को दो ही

लिंगों में विभक्त किया गया है।

निर्जीव शब्दों का लिंग निर्धारण कठिन होता है,

सजीव शब्दों का लिंग

निर्धारण सरलता से हो जाता है।

संस्कृत के पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग शब्द,

जो हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं,

उसी रूप में स्वीकार कर लिए गए हैं,

जैसे- तन, मन, धन, देश, जगत्

आदि पुल्लिंग तथा सुन्दरता,

आशा, लता दिशा जैसे शब्द स्त्रीलिंग है।

पुल्लिंग

हिन्दी में जो शब्द रूप या बनावट के

आधार पर पुल्लिंग होते हैं,

उनका परिचय इस प्रकार है

अकारान्त पुल्लिंग शब्द

राम, बालक, गृह, सूर्य, सागर आदि।

आकारान्त पुल्लिंग शब्द घडा, चूना, बूरा आदि।

इकारान्त पुल्लिंग शब्द कवि, हरि, कपि, वारि।

ईकारान्त पुल्लिंग शब्द- मोती, पानी, घी आदि।

उकारान्त पुल्लिंग शब्द भानु, शिशु, गुरु आदि।

ऊकारान्त पुल्लिंग शब्द बाबू, चाकू, आलू, भालू आदि।

प्रत्यान्त पुल्लिंग शब्द आव या आवा

(घुमाव, पङाव, बढ़ावा, चढ़ावा), ना (चलना,

तैरना, सोना, जागना,)

पन (लङकपन, भोलापन, बङप्पन, बचपन),

आन (मिलान,

खानपान, लगान),

खाना (डाकखाना, चिडियाखाना)।

अर्थ की दृष्टि से पुल्लिंग शब्द प्रायः

धातुओं और रत्नों के नाम सोना, लोहा, हीरा, मोती

आदि (चाँदी को छोङकर)।

भोज्य पदार्थ पेडा, लड्डू, हलुवा,

अनाजों के नाम गेहूँ, जौ, चना।

दिनों-महीनों के नाम सोमवार से

रविवार तक सभी दिन, हिन्दी महीनों के नाम चैत्र,

बैसाख, सावन, भादों आदि।

हिमालय, हिन्दमहासागर, भारत,

चन्द्रमा आदि पर्वत, सागर, देश और

ग्रहों के नाम (पृथ्वी) पुल्लिंग होते हैं।

 

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विशेषण किसे कहते है ,

परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………….

hindi notes
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विशेषण किसे कहते है ,परिभाषा ,

प्रकार , और उदाहरण…………….

 

 

विशेषण………………

 

विशेषण वे शब्द होते हैं

जो संज्ञा या सर्वनाम की

विशेषता बताते हैं।

ये शब्द वाक्य में संज्ञा

के साथ लगकर संज्ञा

की विशेषता बताते हैं।

विशेषण विकारी शब्द होते हैं

एवं इन्हें सार्थक शब्दों के

आठ भेड़ों में से एक माना जाता है।

बड़ा, काला, लम्बा, दयालु,

भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा मेढ़ा,

एक, दो, वीर पुरुष, गोरा, अच्छा,

बुरा, मीठा, खट्टा आदि

विशेषण शब्दों के कुछ उदाहरण हैं।

विशेषण की परिभाषा………….

 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता

(गुण, सं ख्या, मात्रा या परिमाण आदि)

बताते हैं विशेषण कहलाते हैं।

जैसे……………

बड़ा, काला,

लंबा, दयालु,

भारी, सुन्दर,

अच्छा, गन्दा,

बुरा, एक, दो आदि।

वहां चार लड़के बैठे थे।

अध्यापक के हाथ में लंबी छड़ी है

वह घर जा रहा था।

गीता सुंदर लड़की है

विशेष्य………….

जिन संज्ञा या सर्वनाम

शब्दों की विशेषता बताई जाए

वे विशेष्य कहलाते हैं।

जैसे – मोहन सुंदर लड़का है

प्रविशेषण………….

विशेषण शब्द की भी

विशेषता बतलाने वाले शब्द

‘प्रविशेषण’ कहलाते हैं।

जैसे – राधा बहुत सुंदर लड़की है।

इस वाक्य में सुंदर (विशेषण)

की विशेषता बहुत शब्द के

द्वारा बताई जा रही है।

इसलिए बहुत

प्रविशेषण शब्द है।

विशेषण के भेद

 

हिन्दी व्याकरण में विशेषण के मुख्यतः

4 भेद या प्रकार होते हैं।

  • गुणवाचक
  • परिमाणवाचक
  • संख्यावाचक
  • सार्वनामिक

 

1. गुणवाचक………………

जिस विशेषण से संज्ञा

या सर्वनाम के गुण या

दोष का बोध हो,

उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

ये विशेषण भाव, रंग, दशा,

आकार, समय, स्थान,

काल आदि से सम्बन्धित होते है।

जैसे – अच्छा, बुरा, सफेद,

काला, रोगी, मोटा, पतला,

लम्बा, चौड़ा, नया, पुराना,

ऊँचा, मीठा, चीनी, नीचा,

प्रातःकालीन

आदि।

गुणवाचक विशेषणों में

‘सा’ सादृश्यवाचक पद

जोड़कर गुणों को कम

भी किया जाता है।

जैसे लाल-सा, बड़ा-सा,

छोटी-सी, ऊँची-सी आदि।

कभी-कभी गुणवाचक

विशेषणों के विशेष्य वाक्य लुप्त हो जाते हैं

ऐसी स्थिति में संज्ञा का काम

भी विशेषण ही करता है।

जैसे – बड़ों का आदर करना चाहिए।

दीनों पर दया करनी चाहिए।

गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के

साथ कैसा कैसी लगाकर प्रश्न

करने पर विशेषण पता किया जाता है।

2. परिमाणवाचक……………..

जिन विशेषण शब्दों से

किसी वस्तु के परिमाण,

मात्रा, माप या तोल का बोध

हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।

इसके दो भेद हैं।

।. निश्चित परिमाणवाचक दस क्विटल, तीन किलो, डेढ़ मीटर।

II. अनिश्चित परिमाणवाचक थोड़ा,

इतना, कुछ, ज्यादा, बहुत,

अधिक, कम, तनिक, थोड़ा,

इतना, जितना, ढेर सारा।

3. संख्यावाचक……………..

जिस विशेषण द्वारा किसी

संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो,

उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे बीस दिन, दस किताब,

सात भैंस आदि। यहाँ पर बीस,

दस तथा सात- संख्यावाचक विशेषण हैं।

इसके दो भेद हैं-

1. निश्चित संख्यावाचक दो,

तीन, ढाई, पहला, दूसरा,

इकहरा, दुहरा, तीनो,

चारों, दर्जन, जोड़ा, प्रत्येक।

II. अनिश्चित संख्यावाचक कई, कुछ, काफी, बहुत।

4. सार्वनामिक…………………

पुरुषवाचक और निजवाचक

सर्वनाम (मैं, तू, वह) के

अतिरिक्त अन्य सर्वनाम

जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं,

तब वे संकेतवाचक या

सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे यह घोड़ा अच्छा है।,

वह नौकर नहीं आया।

यहाँ घोड़ा और नौकर संज्ञाओं के

पहले विशेषण के रूप में ‘यह’

और ‘वह’ सर्वनाम आये हैं।

अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं।

जैसे – यह विद्यालय, वह बालक, वह खिलाड़ी आदि ।

सार्वनामिक विशेषण के भेद

व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-

मौलिक सार्वनामिक विशेषण

यौगिक सार्वनामिक विशेषण

1. मौलिक सार्वनामिक विशेषण जो

सर्वनाम बिना रूपान्तर के संज्ञा के

पहले आता हैं

उसे मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे

वह लड़का,

यह कार,

कोई नौकर,

कुछ काम इत्यादि।

।।. यौगिक सार्वनामिक विशेषण

जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।

जैसे –

कैसा घर, उतना काम,

ऐसा आदमी, जैसा देश इत्यादि।

 

विशेष्य और विशेषण में संबंध

 

ऊपर आपने विशेषण और विशेष्य के

बारे में पढ़ा, अब इन दोनों के संबंधों पर बात करेंगे।

 

विशेषण

“वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है

कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है

और कभी विशेष्य के बाद।”

इस प्रकार प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद हैं-

विशेष्य – विशेषण

विधेय – विशेषण

1. विशेष्य विशेषण………………….

जो विशेषण विशेष्य के पहले आये,

वह विशेष्य विशेष होता हैं।

जैसे –

मुकेश चंचल बालक है।,

संगीता सुंदर लड़की है।

इन वाक्यों में चंचल और सुंदर क्रमशः

बालक और लड़की के पहले आये हैं।

के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य)

2. विधेय विशेषण………………..

जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच

आये, वहाँ विधेय – विशेषण होता हैं।

जैसे –

मेरा कुत्ता लाल हैं।,

मेरा लड़का आलसी है।

इन वाक्यों में लाल और आलसी ऐसे विशेषण हैं,

जो क्रमशः कुत्ता (संज्ञा) और है

(क्रिया) तथा लड़का (संज्ञा)

और है (क्रिया) के बीच आये हैं।

महत्वपूर्ण

विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग,

वचन आदि के अनुसार होते हैं।

जैसे –

अच्छे लड़के पढ़ते हैं।,

नताशा भली लड़की है।,

रामू गंदा लड़का है। आदि

 

यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों

तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग,

वचन के अनुसार होंगे,

जैसे –

नये पुरुष और नारियाँ,

नयी धोती और कुरता। आदि

 

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