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अलंकार किसे कहते है ? उदाहरण सहित हिंदी में पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड
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विशेषण किसे कहते है ,
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लिंग किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………..
सर्वनाम किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण………………
संज्ञा किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………

 

वाक्य रचना किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण……………………………..

वाक्य रचना किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण...................................
वाक्य रचना किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण……………………………..

 

रचना के आधार पर वाक्य-भेद

 

मनुष्य के विचारों को

पूर्णता से प्रकट करने

वाला पद समूह,

जो व्यवस्थित हो

वाक्य कहलाता है।

वाक्य सार्थक शब्दों

का व्यवस्थित रूप है।

वाक्य में आकांक्षा,

योग्यता और आसक्ति

का होना आवश्यक है।

आकांक्षा –

वाक्य के एक पद

को सुनकर दूसरे

पद को सुनने

या जानने की जो

स्वाभाविक उत्कंठ

जागती है,

उसे आकांक्षा कहते हैं।

जैसे दिन में काम करते हैं। –

इस वाक्य को सुनकर

हम प्रश्न करते हैं-

कौन लोग काम करते हैं?

यदि हम कहें कि

दिन में सभी काम करते हैं,

तो ‘सभी’ कह देने के प्रश्न का

उत्तर मिल जाता है

और वाक्य ठीक हो जाता हैं।

अतः इस वाक्य में ‘सभी’

शब्द की आकांक्षा थी

जिसकी पूर्ति से

वाक्य पूरा हो गया।

योग्यता – योग्यता से तात्पर्य है-

पदों के अर्थ बोधन की सामर्थ्य।

जैसे किसान लाठी से खेत जोतता है।

उस वाक्य में ‘लाठी’ के

स्थान पर ‘हल’ का प्रयोग होना चाहिए

क्योंकि ‘हल खेत जोतने के प्रसंग

में अर्थबोधक की क्षमता सामर्थ्य रखता हैं।

संधि –

वाक्य के शब्दों को बोलने या

लिखने में निकटता होना

आवश्यक हैं।

रुक –

रुककर बोले गए शब्द या

लिखते समय ठहराव दिखने

के लिए विराम चिन्हों का

प्रयोग न करने से अर्थ

में बाधा पड़ती है।

इस प्रकार अर्थ तभी निकलता है,

जब अंश समुचित समय-सीमा

में ही बोले जाएँ।

इस शर्त को सनिधि कहते हैं।

वाक्य के घटक

वाक्य के मूल और अनिवार्य घटक हैं-

1. कर्ता

2. क्रिया

इनके अतिरिक्त वाक्य के

अन्य घटक भी होते हैं-

विशेषण, क्रिया विशेषण,

कारक आदि इन्हें ऐच्क्षिक कहा जाता है।

1. उद्देश्य

2. विधेय

1. उद्देश्य –

जिसके विषय में कुछ कहा जाए। (1. कर्ता 2. कर्ता का विस्तार)

 

2. विधेय –

उद्देश्य के विषय में

जो कुछ कहा जाय।

(1. क्रिया, 2. क्रिया का पूरक,

3. कर्म/पूरक, 4. कर्म/पूरक का विस्तार,

5. अन्य कारकीय पद और उनका विस्तार)

उदेश्य और विधेय को

इस प्रकार समझा जा सकता है।

रचना की दृष्टि से वाक्य – भेद

रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार हैं-

1. सरल या साधारण वाक्य

2. संयुक्त वाक्य

3. मिश्र या जटिल वाक्य

1. सरल या साधारण वाक्य

इसमें एक या एक से

अधिक उ‌द्देश्य और

एक विधेय होते हैं

अथवा जिस वाक्य में

एक ही मुख्य क्रिया हो,

उसे सरल या साधारण

वाक्य कहते हैं। जैसे-

1. वह ज़ोर-ज़ोर से रोया।

2. मैं और मेरा भाई दिल्ली जाएँगे।

3. वे हर दिन दूध पीते हैं।

4. मोहन घर जा रहा होगा।

5. वह अत्याचार किए जा रहा था

6. पाकिस्तान वर्षों से आतंकवाद फैलाए जा रहा हैं।

उक्त वाक्यों में रेखांकित क्रियाएँ मुख्य क्रियाएँ हैं।

ध्यान दें –

स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला

उपवाक्य भी सरल वाक्य होता है।

2. संयुक्त वाक्य –

दो या दो से अधिक

सामान स्तरीय (समानाधिकरण)

उपवाक्य किसी समानाधिकर

समुच्चयबोधक अव्यय

से जुड़े होते हैं

वे संयुक्त वाक्य कहलाते है।

जैसे-

1. हम लोग पूणे घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।

2. यहाँ आप रह सकते हैं या आपका भाई रह सकता है।

3. वे बीमार हैं, अतः आने में असमर्थ है।

ध्यान दें -1

समानाधिकरण उपवाक्य

आश्रित न होकर एक-दूसरे के पूरक होते हैं।

1. इन उपवाक्यों का स्वतंत्र रूप से भी प्रयोग हो सकता है।

नोट –

जिन समुच्चय बोधक शब्दों के

द्वारा दो समान वाक्यांशों

पदों और वाक्यों को परस्पर

जोड़ा जाता है।

उन्हें समानाधिकारण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जैसे – सुनंदा खड़ी थी और अलका बैठी थी।

इस वाक्य में ‘और’

समुच्चयबोधक शब्द

द्वारा दो समान वाक्य परस्पर जुड़े हैं।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक

के भेद समानाधिकरण

समुच्चयबोधक चार प्रकार के होते हैं

(क) संयोजक-

जो शब्दों, वाक्यांशों और

उपवाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले

शब्द संयोजक कहलाते हैं।

जैसे- और, तथा, एवं व आदि संयोजक शब्द हैं।

(ख) विभाजक –

शब्दों, वाक्यांशों और उपवाक्यों में परस्पर

विभाजन और विकल्प प्रकट करने वाले

शब्द विभाजन या विकल्पक कहलाते हैं।

जैसे- या, चाहे अथवा, अन्यथा आदि।

(ग) विरोध-

दो परस्पर विरोधी कथनों और उपवाक्यों

को जोड़ने वाले शब्द विरोधसूचक कहलाते हैं।

जैसे- परन्तु, पर, किन्तु, मगर, बल्कि, लेकिन आदि।

(घ) परिणामसूचक –

दो उपवाक्यों को परस्पर जोड़कर परिणाम

को दर्शाने वाले शब्द परिणामसूचक कहलाते हैं।

जैसे – फलतः, परिणामस्वरूप,

इसलिए अतः अतएव फलस्वरूप, अन्यथा आदि।

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विलोम शब्द क्या है ,परिभाषा ,प्रकार ,और उदाहरण ....
विलोम शब्द क्या है ,परिभाषा,और उदाहरण ….

विलोम शब्द क्या है ,परिभाषा,और उदाहरण ….

विलोम शब्द का अर्थ है-उल्टा।

यहाँ विशेष रूप से ध्यान देने की है

-शब्द का विलोम उसी व्याकरणिक कोटि का होगा,

जिसका वह मूल शब्द है।

विलोम शब्द हमेशा सजातीय ही होते हैं

अर्थात् संज्ञा का विलोम संज्ञा,

सर्वनाम का विलोम सर्वनाम,

विशेषण का विलोम विशेषण,

क्रिया का विलोम क्रिया पद

और क्रिया विशेषण का क्रिया विशेषण होता है।

विलोम शब्दों के निर्माण में उपसर्गों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है

 

‘ज्येष्ठ’ का विलोम है-

कनिष्ठ

‘जारज’ का विलोम है-

– औरस

‘जटिल’ का विलोम होगा-

– सरल

‘जंगम’ का विलोम शब्द है-

स्थावर

‘तामसिक’ का विलोम क्या होगा ?

सात्विक

‘तिमिर’ शब्द का विलोम है-

आलोक

‘नवीन’ शब्द का विलोम शब्द बताइए-

प्राचीन

‘निन्दा’ का विलोम होगा-

स्तुति

‘निर्बल’ का विलोम शब्द है-

सबल

‘निरामिष’ का विलोम है-

आमिष

‘निर्भीक’ का विलोम है-

– कायर, कातर

‘निर्दय’ का विलोम शब्द है-

सदय

‘निषिद्ध’ का विपरीतार्थक शब्द है-

विहित

‘नश्वर’ शब्द का विलोम है-

शाश्वत

‘उद्धत’ का विलोम शब्द है-

– विनीत

‘कृपण’ का विरुद्धार्थी शब्द चुनिए।

उदार

‘कृपण’ का सही विलोम है-

दाता/अनुदार

‘उक्त’ शब्द का विलोम है-

अनुक्त

‘नया’ उल्टे अर्थ वाला शब्द लिखिए-

पुराना

‘उपजाऊ’ का विलोम है-

ऊसर

उसका उत्तरीय उस पर बहुत जैच रहा था।

अधोवस्त्र

‘उत्थान’ का विलोम शब्द है-

पतन

‘उल्लास’ का विलोम शब्द है-

नैराश्य

‘उद्यम’ का विलोम शब्द है-

आलस्य

‘उपत्यका’ का विलोम है-

अधित्यका

‘उदय’ शब्द का विलोम शब्द छाँटिए।

अस्त

‘उन्मूलन’ का विलोम है-

रोपण

‘उन्मीलन’ का विलोम शब्द है-

निमीलन

‘उदात’ का त्रिलोमार्थी शब्द है-

अनुदात्त

‘उदार’ का विलोम शब्द है-

– अनुदार

‘उत्कर्ष’ शब्द का विलोम है-

अपकर्ष

‘उप्पीद’ का विलोम शब्द है?

मायूसी

‘उपकार’ शब्द का विलोम है-

अपकार

‘उत्तरायण’ का विलोम है-

-दक्षिणायन

‘उपमेय’ का सर्वथा उपयुक्त विपरीतार्थक शब्द है

अनुपमेय

‘उपयोग’ का विलोम है-

निरुपयोग, अनुपयोग,दुरुपयोग

‘एकता’ विलोम शब्द है-

अनेकता

‘ऐहिक’ शब्द का विलोम है-

पारलौकिक

‘ऋजुता’ का सही विलोम है-

– वक्रता

‘ऋतु’ (सत्य) का विलोम क्या है?

अनृत (झूठ)

‘ऋजु’ का विलोम है-

– वक्र

‘कथित’ शब्द का विलोम है-

अकथित

‘कुटिल’ का विलोम है-

– ऋजु

‘कर्कश’ का विलोम है-

मधुर

‘कृत्रिम’ का विलोमार्थी शब्द है-

प्राकृतिक

‘कौटिल्य’ का विलोम शब्द है-

आर्जव

‘कृश’ का विलोम होगा-

हृष्ट-पुष्ट

‘कृतज्ञ’ का विलोम है

कृतघ्न

‘गौण’ का विलोम शब्द है

मुख्य

‘गम्य’ का विलोम शब्द है

अगम्य

‘गति’ का विरुद्धार्थी शब्द, है-

मन्द

‘सुषुप्ति’ का विलोम है-

जागरित

‘सृष्टि’ का विलोम शब्द है-

प्रलय

‘साहचर्य’ का विलोम शब्द है-

अलगाव

‘स्वप्न’ का विलोम है-

जागरण

‘स्पृश्य’ का विलोम शब्द है-

अस्पृश्य

‘सकाम’ का विलोम है-

निष्काम

‘स्तुत्य’ का विलोम है-

– हेय

‘सगुण’ शब्द का विलोम है-

– निर्गुण

सन्तोष महाधन है। रेखांकित शब्द का सटीक विलोम होगा-

असन्तोष

‘स्वधर्म’ शब्द का विलोम है-

– परधर्म

‘सम्पन्नता’ का विलोम शब्द है-

निर्धनता

‘संकीर्ण’ का विलोम शब्द है-

– विकीर्ण/विस्तीर्ण

‘स्वार्थ’ का विलोम होगा-

– निःस्वार्थ, परमार्थ

‘सौम्य’ शब्द का विलोम है-

– उग्र

‘संकीर्ण’ का विलोम है-

विस्तीर्ण

‘समास’ का विलोम है-

– व्यास, विग्रह, खण्ड

‘संयोग’ शब्द का विलोम है-

– वियोग

‘स्वजाति’ का विलोम है-

विजाति

‘सन्धि’ का विलोम शब्द है-

– विग्रह

‘साधु’ का विलोम शब्द है-

असाधु

‘सापेक्ष’ का विलोम शब्द है-

– निरपेक्ष

‘सजल’ का विलोम है

निर्जल

‘सामान्य’ शब्द का विलोम है-

विशिष्ट

‘सुलभ’ का उपयुक्त विपरीतार्थक शब्द है-

– दुर्लभ

‘स्मरण’ का विलोम है-

विस्मरण

‘स्तब्ध’ के लिए सही विलोम है-

अस्तब्ध

‘सहयोगी’ का सर्वथा उपयुक्त विपरीतार्थक शब्द है

– प्रतियोगी

‘स्वर्ग’ का विलोम है-

नरक

‘सरल’ का विलोम है-

कठिन

‘स्थूल’ का विलोम है-

– सूक्ष्म, तन्वी, दुर्बल

‘स्थावर’ का विलोम शब्द है-

जंगम

‘ह्रास’ का विलोम है

– वृद्धि

‘हर्ष’ का विलोम बताएँ-

विषाद

‘क्षणिक’ का विलोम शब्द है-

– शाश्वत

‘श्रीगणेश’ शब्द का विलोम है-

– इतिश्री

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सर्वनाम किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण …………..

 

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सर्वनाम किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण………………

 

सर्वनाम की परिभाषा

संज्ञा के स्थान पर आने वाले

शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।

जैसे: तुम, हम, आप, उसका,

आदि I सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आता है।

सर्वनाम 2 शब्दों का योग करके बनता है………

सर्व+नाम, इसका यह अर्थ है

कि जो नाम शब्द के स्थान पर

उपयुक्त होता है

उसे सर्वनाम कहते हैं।

सर्वनाम के भेद……………..

सर्वनाम के भेद 6 प्रकार के होते हैं,

जैसे-

  • पुरुषवाचक सर्वनाम
  • निश्चयवाचक (सूचक) सर्वनाम
  • अनिश्चितकालीन सर्वनाम
  • सापेक्ष सर्वनाम
  • प्रश्नवाचक सर्वनाम
  • व्यक्तिगत सर्वनाम

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सर्वनाम पीडीऍफ़ हिंदी में 

 

लिंग किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………..

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लिंग किसे कहते है , परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण……………………….

 

लिंग………………

 

शब्द के जिस रूप से

उसकी जाति (नर, मादा)

का बोध होता है,

उसे लिंग (Gender in hindi) कहते हैं।

लिंग दो प्रकार के होते हैं –

1. पुल्लिंग

2. स्त्रीलिंग

शब्दों के जिस रूप न में

उनके ‘नरत्व’ (पुरुषत्व)

का बोध होता है,

उसे ‘पुल्लिंग’ तथा

शब्दों के जिस रूप से

उसके ‘स्त्रीत्व’ का

बोध होता है, उसे ‘कहते हैं।

जैसे –

पुल्लिंग शब्द – लङका, बैल, पेङ, नगर आदि।

स्त्रीलिंग शब्द – गाय, लङकी, लता, नदी आदि।

हिन्दी भाषा में सृष्टि के

समस्त पदार्थों को दो ही

लिंगों में विभक्त किया गया है।

निर्जीव शब्दों का लिंग निर्धारण कठिन होता है,

सजीव शब्दों का लिंग

निर्धारण सरलता से हो जाता है।

संस्कृत के पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग शब्द,

जो हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं,

उसी रूप में स्वीकार कर लिए गए हैं,

जैसे- तन, मन, धन, देश, जगत्

आदि पुल्लिंग तथा सुन्दरता,

आशा, लता दिशा जैसे शब्द स्त्रीलिंग है।

पुल्लिंग

हिन्दी में जो शब्द रूप या बनावट के

आधार पर पुल्लिंग होते हैं,

उनका परिचय इस प्रकार है

अकारान्त पुल्लिंग शब्द

राम, बालक, गृह, सूर्य, सागर आदि।

आकारान्त पुल्लिंग शब्द घडा, चूना, बूरा आदि।

इकारान्त पुल्लिंग शब्द कवि, हरि, कपि, वारि।

ईकारान्त पुल्लिंग शब्द- मोती, पानी, घी आदि।

उकारान्त पुल्लिंग शब्द भानु, शिशु, गुरु आदि।

ऊकारान्त पुल्लिंग शब्द बाबू, चाकू, आलू, भालू आदि।

प्रत्यान्त पुल्लिंग शब्द आव या आवा

(घुमाव, पङाव, बढ़ावा, चढ़ावा), ना (चलना,

तैरना, सोना, जागना,)

पन (लङकपन, भोलापन, बङप्पन, बचपन),

आन (मिलान,

खानपान, लगान),

खाना (डाकखाना, चिडियाखाना)।

अर्थ की दृष्टि से पुल्लिंग शब्द प्रायः

धातुओं और रत्नों के नाम सोना, लोहा, हीरा, मोती

आदि (चाँदी को छोङकर)।

भोज्य पदार्थ पेडा, लड्डू, हलुवा,

अनाजों के नाम गेहूँ, जौ, चना।

दिनों-महीनों के नाम सोमवार से

रविवार तक सभी दिन, हिन्दी महीनों के नाम चैत्र,

बैसाख, सावन, भादों आदि।

हिमालय, हिन्दमहासागर, भारत,

चन्द्रमा आदि पर्वत, सागर, देश और

ग्रहों के नाम (पृथ्वी) पुल्लिंग होते हैं।

 

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विशेषण किसे कहते है ,

परिभाषा , प्रकार , और उदाहरण…………….

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विशेषण किसे कहते है ,परिभाषा ,

प्रकार , और उदाहरण…………….

 

 

विशेषण………………

 

विशेषण वे शब्द होते हैं

जो संज्ञा या सर्वनाम की

विशेषता बताते हैं।

ये शब्द वाक्य में संज्ञा

के साथ लगकर संज्ञा

की विशेषता बताते हैं।

विशेषण विकारी शब्द होते हैं

एवं इन्हें सार्थक शब्दों के

आठ भेड़ों में से एक माना जाता है।

बड़ा, काला, लम्बा, दयालु,

भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा मेढ़ा,

एक, दो, वीर पुरुष, गोरा, अच्छा,

बुरा, मीठा, खट्टा आदि

विशेषण शब्दों के कुछ उदाहरण हैं।

विशेषण की परिभाषा………….

 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता

(गुण, सं ख्या, मात्रा या परिमाण आदि)

बताते हैं विशेषण कहलाते हैं।

जैसे……………

बड़ा, काला,

लंबा, दयालु,

भारी, सुन्दर,

अच्छा, गन्दा,

बुरा, एक, दो आदि।

वहां चार लड़के बैठे थे।

अध्यापक के हाथ में लंबी छड़ी है

वह घर जा रहा था।

गीता सुंदर लड़की है

विशेष्य………….

जिन संज्ञा या सर्वनाम

शब्दों की विशेषता बताई जाए

वे विशेष्य कहलाते हैं।

जैसे – मोहन सुंदर लड़का है

प्रविशेषण………….

विशेषण शब्द की भी

विशेषता बतलाने वाले शब्द

‘प्रविशेषण’ कहलाते हैं।

जैसे – राधा बहुत सुंदर लड़की है।

इस वाक्य में सुंदर (विशेषण)

की विशेषता बहुत शब्द के

द्वारा बताई जा रही है।

इसलिए बहुत

प्रविशेषण शब्द है।

विशेषण के भेद

 

हिन्दी व्याकरण में विशेषण के मुख्यतः

4 भेद या प्रकार होते हैं।

  • गुणवाचक
  • परिमाणवाचक
  • संख्यावाचक
  • सार्वनामिक

 

1. गुणवाचक………………

जिस विशेषण से संज्ञा

या सर्वनाम के गुण या

दोष का बोध हो,

उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

ये विशेषण भाव, रंग, दशा,

आकार, समय, स्थान,

काल आदि से सम्बन्धित होते है।

जैसे – अच्छा, बुरा, सफेद,

काला, रोगी, मोटा, पतला,

लम्बा, चौड़ा, नया, पुराना,

ऊँचा, मीठा, चीनी, नीचा,

प्रातःकालीन

आदि।

गुणवाचक विशेषणों में

‘सा’ सादृश्यवाचक पद

जोड़कर गुणों को कम

भी किया जाता है।

जैसे लाल-सा, बड़ा-सा,

छोटी-सी, ऊँची-सी आदि।

कभी-कभी गुणवाचक

विशेषणों के विशेष्य वाक्य लुप्त हो जाते हैं

ऐसी स्थिति में संज्ञा का काम

भी विशेषण ही करता है।

जैसे – बड़ों का आदर करना चाहिए।

दीनों पर दया करनी चाहिए।

गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के

साथ कैसा कैसी लगाकर प्रश्न

करने पर विशेषण पता किया जाता है।

2. परिमाणवाचक……………..

जिन विशेषण शब्दों से

किसी वस्तु के परिमाण,

मात्रा, माप या तोल का बोध

हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।

इसके दो भेद हैं।

।. निश्चित परिमाणवाचक दस क्विटल, तीन किलो, डेढ़ मीटर।

II. अनिश्चित परिमाणवाचक थोड़ा,

इतना, कुछ, ज्यादा, बहुत,

अधिक, कम, तनिक, थोड़ा,

इतना, जितना, ढेर सारा।

3. संख्यावाचक……………..

जिस विशेषण द्वारा किसी

संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो,

उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे बीस दिन, दस किताब,

सात भैंस आदि। यहाँ पर बीस,

दस तथा सात- संख्यावाचक विशेषण हैं।

इसके दो भेद हैं-

1. निश्चित संख्यावाचक दो,

तीन, ढाई, पहला, दूसरा,

इकहरा, दुहरा, तीनो,

चारों, दर्जन, जोड़ा, प्रत्येक।

II. अनिश्चित संख्यावाचक कई, कुछ, काफी, बहुत।

4. सार्वनामिक…………………

पुरुषवाचक और निजवाचक

सर्वनाम (मैं, तू, वह) के

अतिरिक्त अन्य सर्वनाम

जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं,

तब वे संकेतवाचक या

सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे यह घोड़ा अच्छा है।,

वह नौकर नहीं आया।

यहाँ घोड़ा और नौकर संज्ञाओं के

पहले विशेषण के रूप में ‘यह’

और ‘वह’ सर्वनाम आये हैं।

अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं।

जैसे – यह विद्यालय, वह बालक, वह खिलाड़ी आदि ।

सार्वनामिक विशेषण के भेद

व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-

मौलिक सार्वनामिक विशेषण

यौगिक सार्वनामिक विशेषण

1. मौलिक सार्वनामिक विशेषण जो

सर्वनाम बिना रूपान्तर के संज्ञा के

पहले आता हैं

उसे मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे

वह लड़का,

यह कार,

कोई नौकर,

कुछ काम इत्यादि।

।।. यौगिक सार्वनामिक विशेषण

जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।

जैसे –

कैसा घर, उतना काम,

ऐसा आदमी, जैसा देश इत्यादि।

 

विशेष्य और विशेषण में संबंध

 

ऊपर आपने विशेषण और विशेष्य के

बारे में पढ़ा, अब इन दोनों के संबंधों पर बात करेंगे।

 

विशेषण

“वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है

कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है

और कभी विशेष्य के बाद।”

इस प्रकार प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद हैं-

विशेष्य – विशेषण

विधेय – विशेषण

1. विशेष्य विशेषण………………….

जो विशेषण विशेष्य के पहले आये,

वह विशेष्य विशेष होता हैं।

जैसे –

मुकेश चंचल बालक है।,

संगीता सुंदर लड़की है।

इन वाक्यों में चंचल और सुंदर क्रमशः

बालक और लड़की के पहले आये हैं।

के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य)

2. विधेय विशेषण………………..

जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच

आये, वहाँ विधेय – विशेषण होता हैं।

जैसे –

मेरा कुत्ता लाल हैं।,

मेरा लड़का आलसी है।

इन वाक्यों में लाल और आलसी ऐसे विशेषण हैं,

जो क्रमशः कुत्ता (संज्ञा) और है

(क्रिया) तथा लड़का (संज्ञा)

और है (क्रिया) के बीच आये हैं।

महत्वपूर्ण

विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग,

वचन आदि के अनुसार होते हैं।

जैसे –

अच्छे लड़के पढ़ते हैं।,

नताशा भली लड़की है।,

रामू गंदा लड़का है। आदि

 

यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों

तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग,

वचन के अनुसार होंगे,

जैसे –

नये पुरुष और नारियाँ,

नयी धोती और कुरता। आदि

 

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